आलू की खेती सामान्य परिचय
आलू के उन्नत किस्म अच्छी श्रेणी के हो विशेषकर रोगाणु मुक्त बीज का प्रयोग करके आलू की खेती से पैदावार बढ़ाई जा सकती है अच्छी उपज के लिए जलवायु खंड या क्षेत्र के अनुसार केवल सिफारिस की गयी उपयुक्त किस्म ही चुने सब्जियों का राजा आलू रबी मौसम कि मुख्य फसल है |कीजिये आलू की वैज्ञानिक खेती और आपको मिल सकता है कम लागत में बेहतर मुनाफा |
आलू जो है पुरे भारतवर्ष में पैदा होता है तमिलनाडु और केरल को छोड़कर सबसे से पहले आप भूमि परिक्षण जरुर करवा ले किसी नजदीकी कृषि संसथान में ले जाकर इसका परिक्षण करवाए और बताये की मै इसमें आलू की खेती करना चाहता हु परिक्षण के बाद वो बतायेंगे की क्या डालना है क्या नही डालना है आलू की खेती के लिए ज्वर युक्त बलवी दोमट मिट्टी अच्छी होती है भूमि में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए आलू के लिए क्षारीय तथा जल भराव खड़े पानी वाली भूमि कभी न चुने गढ़वार के समय आलू को मध्यम seed की आवश्यकता होती है |
आलू की उपज क्षमता समय के मुताबिक सभी अन्य फसलो से ज्यादा होती है आलू पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिसका सेवन पौष्टिक आहार के रूप में गरीब हो या अमीर हर कोई करता है
पोषक तत्वों की मात्रा |
14%स्टार्च |
2%चीनी |
2%प्रोटीन |
1%खनिज लवण 0.1% वसा |
कुछ मात्रा में विटामिन्स भी होते है आलू एक ऐसी फसल है जो बढ़ती जनसँख्या को भुखमरी से बचाने में सहायक है इसी वजह से आलू की मांग के हिसाब से इसके उत्पादन में इजाफा जरुर होती है आलू की फसल से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए किसान परम्परागत के बजाय आलू की वैज्ञानिक खेती करने पर जोर देना चाहिए |
आलू की खेती के लिए जलवायु

आलू की बढ़वार के समय दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए और रात का तापमान 8-15 डिग्री सेल्सिअस तक होना चाहिए वही फसल के कंद बनते समय तापमान 18-20 डिग्री सेल्सियस उत्तम माना जाता है कंद बनने की अवस्था में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान से कंदों का विकास रुक जाता है |
आलू की खेती के लिए भूमि |
आलू की अच्छी खेती के लिए बढ़िया जल निकासी वाली जीवांश युक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है क्षारीय जल भराव वाली व खड़े पानी वाली भूमि पर आलू की खेती न करे |
आलू की खेती के लिए भूमि की तैयारी
सबसे पहले खेत की 3 से 4 बार जुताई करे पहली जुताई मिटटी पलटने वाली हल से करे बाकी जुताई देशी हल डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करे हर जुताई के बाद पाटा जरुर लगाए आलू की बोवाई किस्मो के आधार पर की जाती है अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आलू की बोवाई का उत्तम समय है अक्टूबर के सुरुवात से 10 नवंबर के बीच अगेती फसल सितम्बर के दुसरे सप्ताह में लगाये |
ध्यान रखने योग्य बाते
- बीज विश्वनीय स्त्रोत से ख़रीदे क्योकि सफल खेती के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त बीज प्राप्त होना बेहद जरुरी है |
- प्रमाणित बीज किसी विश्वशनीय संसथान /एजेंसी से ख़रीदे
- हर तीन चार साल बाद बीज को बदलते रहे
- बीज खरीदते वक्त ध्यान रखे की बीज का वजन 25-40 ग्राम के बीच हो इससे कम वजन वाला बीज लाभकारी नही माना जाता |
आलू की सफल खेती के लिए किस्म

अगेती फसल की किस्मे
कुफरी पुखराज, कुफरी अशोका, कुफरी कुबेर, कुफरी बहार, कुफरी चंद्रमुखी कुफरी ख्याति, कुफरी सूर्य, कुफरी जवाहर |
ये आलू 80-100 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर पैदावार 200-250 क्विंटल देती है |
मध्यकालीन फसल की किस्मे
कुफरी बादशाह, कुफरी लालिमा, कुफरी बहार, कुफरी ज्योति, कुफरी कंचन, राजेंद्र आलू 1, 2, 3
ये सभी किस्मे 100-120 दिन में तैयार हो जाती है और उत्पादन प्रति हेक्टेयर 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहता है |
पछेती फसल की किस्मे
कुफरी सुन्दरी, कुफरी अलंकार, कुफरी सफ़ेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा और कुफरी किसान |
ये किस्मे 120-130 में तैयार हो जाती है इन किस्मो का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहता है |
यदि आप चिप्स में उपयोग होने वाले आलू की खेती करना चाहते है तो उसके लिए किस्मे
कुफरी चिप्सोना 1, 2, 3 कुफरी आनंद
ये किस्मे 100-110 दिन में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 300-350 क्विंटल की उत्पादन देती है |
बोवाई के लिए बीज की मात्रा

40 ग्राम तक का बीज होगा तो आप प्रति हेक्टेयर 40-50 क्विंटल बीज की आपको जरुरत पड़ेगी 25 ग्राम का बीज चुनेंगे तो प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल बीज आपको चाहिए होगा बीज में कम से कम दो आँखे जरुर होनी चाहिए बोवाई से पहले बीज को अंकुरित जरुर करे बीज को अंकुरित करने के लिए बिजाई से 15-20 दिन पहले आलू को बोरो से निकाले और अंकुरित करने के लिए कमरे में फर्श में फैला दे जहाँ धुप n आती हो और रौशनी कम रहती हो लेकिन हवादार कमरा हो इससे बीजो का अंकुरण जल्दी होता है बीजो का निरिक्षण करते रहे ख़राब कमजोर और छोटी आँख वाली आलुओ को निकाल दे |
पूर्ण अकुरण वाले बीजो में कंद जल्दी उगते है |
छायादार जगह पर सुखाने से खेत में कंद कम सड़ते है |
मृदा जनित फफूंद से बचाव होता है |
पौधों की बढ़वार बेहतर होती है |
प्रति पौधे ताने ज्यादा निकलती है |
कंद जल्दी बनते है |
आलू की खेती के लिए बुवाई
सबसे पहले बीज को सावधानी से खेत तक पहुचाये ध्यान रखे की बीज की आँखे/अंकुर न टूटे बोवाई से पहले बीजोपचार जरुर करे बीजोपचार से फसल का बीमारियों से बचाव होता है बीजोपचार से उत्पादन भी अच्छा होता है |
आलू की खेती में बीजोपचार
मैन्कोजेब दवा – 0.2% 20 मिनट तक उपचारित करके छाया में सुखाये बीजोपचार करने के 24 घंटे के अन्दर अन्दर बुवाई करदे आलू बोने के लिए 50-60 सेमी दुरी पर कतारें बनाये और बीज से बीज की दुरी 15-20 सेमी तक रखें पछेती किस्मो के लिए कतार से कतार की दुरी 60-65 सेमी और पौधे से पौधे की दुरी 25 सेमी तक रख सकते है बलुई मिट्टी में 10-15 सेमी गहराई पर बीज लगाये और दोमट मिटटी मे 8-10 सेमी गहराई पर बीज को रखे |
आलू की खेती के लिए अन्य विधि
समतल भूमि में आलू रखकर मिटटी चढ़ाना मेढ़ो पर आलू की बुवाई करना ज्यादा नमी वाली मिटटी के लिए ये बोवाई अच्छी मानी जाती है अगर आप मिटटी चढ़ाकर बुवाई कर रहे है तो बुवाई के 25-30 दिन बाद निराई गुडाई करके मिटटी चढ़ाए बीच बीच में निरिक्षण जरुर करे अगर कोई कंद मिटटी से बहार दिखे तो उसे ढक दे खुले रहने से कंद हरे हो जाते है |

उर्वरक और खाद की मात्रा
प्रति हेक्टेयर की दर से सड़े गोबर की खाद 20 टन 5 क्विंटल खली डाले |
रासायनिक उर्वरक
प्रति हेक्टेयर की दर से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन 330 किलोग्राम यूरिया डाले यूरिया की आधी मात्रा यानि 165 किलोग्राम बुवाई के समय दे और आधी मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद मिटटी चढ़ाने के समय डाले 90 किलोग्राम फास्फोरस के लिए पार्टी हेक्टेयर 200 किलोग्राम DAP और 560 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट डाले वही 100 किलोग्राम पोटाश के लिए 170 किलोग्राम म्युरिएट ऑफ़ पोटाश डाले |
आकु की खेती में कितनी सिंचाई
बुवाई से 10-20 के भीतर पहली सिंचाई करे फिर 10-15 के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें सिंचाई करते समय ये ध्यान रहे की मेढ़ पानी में दो तिहाई से ज्यादा न डूबे रोग या किट दिखने पर तुरंत कृषि सलाहकार की राय लेकर दवा का इस्तेमाल करे |
आलू की खुदाई
80-90 दिन में आलू की फसल तैयार हो जाती है खुदाई से हफ्ताभर या 10 दिन पहले पत्तों को काट दे और 10 दिन बाद खुदाई शुरू कर देनी चाहिए ध्यान रखें की खुदाई यंत्र कंदों पर न लगे खुदाई के बाद तीन चार दिन आलू को छायादार स्थान पर रखे |
भण्डारण
कच्चे फर्श पर पतली सतह के रूप में बिछाकर रखे इस तरह किसान भाई आलू की खेती से सिमित लागत में अच्छी गुणवत्ता युक्त फसल लेकर बेहतर लाभ कम सकते है |
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